Wednesday, June 30, 2010

# Review of Vol.1 of Hermes Press Phantom Dailies

When it was announced by Hermes Press last year that they will print all Lee Falk written Phantom Dailies and Sundays in full color,from then the first volume(1936-37) of the series was being eagerly awaited by Phantom phans all over the world.
This very first volume was released in March-April this year but in India till May it was not available within reasonable price range which could be afforded by an average Indian reader.
Its cheaper(around Rs.1400-1500/-) version can now be procured through online shopping sites such as flipkart,infibeam etc.


















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Thursday, June 3, 2010

# कथा तीसरे वेताल की

UPDATE 4th June:The download link for original strip,Sunday No.122, of this presented story has been provided for comparison and analysis purpose.

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 दोस्तों,प्रस्तुत है एक और रोमांचक दुभागीय वेताल कथा आप सब की खिदमत में जो की एक बार फिर वेताल वृतांतों से ली गई है और इस बार इस कथा में फ़ाल्क बता रहे हैं की कैसे सिकंदर का हीरे का प्याला वेताल के वृहद कोषागार में आया.
ये कथा और एक वजह से भी महत्व रखती है और वो है इस कथा में 'भारतवर्ष' का जिक्र होना,वैसे तो वेताल कथा में भारत का जिक्र होना कोई नयी बात नहीं है क्योंकि फ़ाल्क ने शुरू में वेताल का घर भारत में ही सोचा था और शुरुआत की सभी कहानियां भारत के शहरों 'मद्रास,बॉम्बे,कलकत्ता' आदि में ही घटित हुई थी,पर इंद्रजाल कॉमिक्स ने अतिरिक्त कुटनीतिक सतर्कता दिखाते हुए किसी भी विवाद को टालने के मंशा से संवादों आदि में कांट-छांट की जिससे की भारत से जुडाव किसी भी कथा में प्रतीत न हो,जैसे की 'बंगाला' को 'डंगाला' कर दिया,'The Belt' कथा में समुंद्री लुटेरे 'रामा' को 'रामालु' कर दिया गया था,यहाँ तक की इस कथा में भी 'India' को बदल के 'Xenia' कर दिया गया है.बहरहाल,वापस कथा पर लौटते हैं,ऐसे बदलावों के बारे में हम आगे और पढ़ेंगे.

























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